Madhu varma

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लेखनी कविता - लोहे के मर्द -रामधारी सिंह दिनकर

लोहे के मर्द -रामधारी सिंह दिनकर

पुरुष वीर बलवान,
देश की शान,
हमारे नौजवान
 घायल होकर आये हैं।

 कहते हैं, ये पुष्प, दीप,
अक्षत क्यों लाये हो?

हमें कामना नहीं सुयश-विस्तार की,
फूलों के हारों की, जय-जयकार की।

 तड़प रही घायल स्वदेश की शान है।
 सीमा पर संकट में हिन्दुस्तान है।

 ले जाओ आरती, पुष्प, पल्लव हरे,
ले जाओ ये थाल मोदकों ले भरे।

 तिलक चढ़ा मत और हृदय में हूक दो,
दे सकते हो तो गोली-बन्दूक दो।

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